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सुनोगी मेरी कहानी

by जूही
"बहनों, मैँ चाहती हूँ आप जाने मैंने क्या भोगा हैं । इससे सबक लेकर आप समय से पहले न मुरझाए । यह जानने से पहले कि जीवन मैँ फूल ही फूल नहीं हैं आप काँटों से दामन बचाना सीख ले । " आगे पढ़िए...
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औरत को मारो: इज़्ज़त बचाओ !

by विशेष सवाददाता
"एक लड़की होकर अपना फैसला खुद लेने की हिम्मत की ! एक लड़की होकर मर्दो के सामने डटने की हिम्मत की ! औरत की इस हिम्मत से मर्द डरता हैं उसकी गद्दी डोलने लगती हैं ।... मर्द के हाथ की कठपुतली बनने से इंकार करना, खुद अपना फैसला लेना ही हम पितृसत्तात्मक समाज से बरदर्शत नहीं होता । " आगे पढ़िए...
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संस्कृति के नाम पर बंधे पावों का सफर

by जूही जैन
" भारत में औरत को बुर्के-घूंघट में रखने की प्रथा , हो या अफ्रीका में महिला- सुन्नत की प्रथा , या फिर चीन में औरत के पैर बांधने का रिवाज़ , यह सभी संस्कृति और रिवाज़ के नाम पर औरत को दबा कर रखने के तरीके हैं । यह सभी कभी सुंदरता के नाम पर, और कभी सुरक्षा के नाम से या कभी धर्म की आड़ में हम पर थोपे जाते हैं । " आगे पढ़िए...
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दुश्मनों की ज़रुरत किसे हाथ अपनों के हम पे उठे

by कमला भसीन
" स्कूलों , महिला समूहों और परिवारों में बच्चियों को इस बात की शिक्षा दी जानी चाहिए कि मर्द का कौन स्पर्श ठीक हैं, कौन सा गलत । उन्हें यह अहसास दिलाना चाहिए कि उनका शरीर उनका अपना हैं । उसे गलत तरीके से छूने का किसी को भी अधिकार नहीं हैं , चाहे वह पिता हो, या अध्यापक , बाई हो या डाकटर या कोई और । " आगे पढ़िए...
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सिर्फ निम्नवर्ग की समस्या नहीं

by वीणा शिवपुरी
" जब तक घर में लड़के-लड़के के बीच भेदभाव दूर नहीं होगा, जब तक घर में भाई बहन को बराबरी का दर्जा नहीं देगा, तब तक उनके रवैयों में बदलाव नहीं आयेगा । ... ज़रुरत हैं आज के लड़को को सही समझ देने की कि वे अपने आपको बिना कारण बेहतर न समझें और न ही लड़की अपने को कमतर माने । " आगे पढ़िए...
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सरकार, कानून और समाज का रवैया

by वीणा शिवपुरी
"वह चीखी उन्होंने कहा शायद एक बेआवाज़ चीख थी क्योंकि किसी ने नहीं सुनी या शायद हर किसी ने सुनी पर अनसुनी कर दी " आगे पढ़िए...

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Concept: Jagori | Content: Amrita Nandy | Design: Avinash Kuduvalli
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About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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