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उमा की हिम्मत शैतान बाप को सज़ा दिलाई

by जूही
" आप से, समाज से - एक सवाल हैं, एक उम्मीद हैं फैसला हमारे हाथ हैं इनकी मदद करे या सच्चाई को नज़र-अंदाज़ करे झूठी इज़्ज़त ढंके या जुर्म ख़त्म करने को एकजुट हो जाएं । " आगे पढ़िए ...
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बलात्कार से जुड़े मिथक

by वीणा शिवपुरी
" कोई फ़र्क माहि बलात्कार होने और पक्की सीढ़ियों से नीचे धकेले जाने में सिवा इसके कि घाव मन के भीतर भी रिस्ते हैं । ... कोई फ़र्क नहीं बलात्कार होने और कार दुर्घटना में टूटे शीशे से उछल कर बाहर गिरने में सिवा इसके कि बाद में कारों से डर नहीं लगता डर लगने लगता हैं आधी मानव जाती से । " आगे पढ़िए
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आग अपने ही आंगन की भुलसाए हैं

by कमला भसीन
" कैसी अजीब बात हैं कि जो औरतो बराबरी या इंसाफ कि बात उठाती हैं उनके बारे में कहा जाता हैं कि वे घर का चैन लूट रही हैं । सच यह है कि बहुत से घरों में चैन शांति हैं ही नहीं । जिसे हम शांति समझते हैं वह कब्रिस्तान की खौपनाक शांति हैं जो औरतो की इच्छाओं और उनकी इज़्ज़त की लाशो पर खड़ी हैं । जो औरत पारवारिक हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाती हैं वे अपने परिवारों को असली मानो में सुखी घर बनना चाहती हैं - ऐसे घर जहां प्यार, आपसी समझ और एक- दूसरे की इज़्ज़त हो , ऐसे घर जहां बच्चे शांति और बराबरी के पाठ सीखो । " आगे पढ़िए…
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हमारी बात

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"सदियों से औरत के ठेस पहुंचाने के लिए पुरुष अपनी शारीरिक ताकत का इस्तेमाल करता आया हैं । ... सजा दिलानी हैं मुजरीम को औरत को जीने के हक़ से महरूम नहीं होने देना हैं । फिर कटघरे में पति हो, चाचा हो, बाई हो या कोई अजनबी । क्योंकि नारी शरीर पर केवल औरत का अपना हक़ हैं । मानवता पर होने वाला यह कलंप बरसो सहा हैं, पर अब नहीं सहेंगे ।" आगे पढ़िए…
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इनके चंगुल से बचें

by जुही
"हमारे अंधविश्वासों का फायदा उठाकर यह हमे ठगते हैं । किसी भी बात को या विश्वास को मानने से पहले , उस पर सोचे- विचारे , सवाल उठाए । अगर हम इन कपटी बाबाओ का भांडा- फोड़ दे तो इनकी दुकानदारी नहीं चलेगी । तभी चमत्कार और अंधविश्वासियों की आड़ में होने वाली धोखा- धडी खत्म होगी । " आगे पढ़िए ...
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अपनी बेटियों पर कच्ची उम्र में शादी का बोझ न डाले

by आदर्श सबलोक
" औरत को समाज में बराबरी का दर्जा दिलाने , उसका शोषण ख़त्म करने व उसकी सिथित में सुधार लाने के लिए लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाना एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम हैं । शादी के समय लड़की की उम्र का उसके स्वास्थ्य , शिक्षा , उसकी आर्थिक व सामाजिक सिथित पर बहुत असर पड़ता हैं । " आगे पढ़िए ...

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Concept: Jagori | Content: Amrita Nandy | Design: Avinash Kuduvalli
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About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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