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रीति- रिवाज जो स्त्रियों को कमज़ोर बनाते हैं

by सुहास कुमार
घर की ज़िम्मेदारी,. बच्चों के पालन -पोषण की ज़िम्मेदारी , वंश की इज़्ज़त की ज़िम्मेदारी सब स्त्रियों की हैं । ... ये ही कमज़ोर माएं जब अपने बच्चों का पालन ठीक तरह नहीं कर पाती, तो क्या बेटो के रूप में पुरुषों पर उसका असर नहीं पड़ता हैं ? इस सामाजिक ढांचे में बहुए सताई जाती हैं तो क्या आपकी बेटियां बच जाती हैं? ... पत्नी को नीचा मानकर क्या पति उसकी मित्रता और अच्छी सलाह में वंचित नहीं रह जाता ? आगे पढ़िए...
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दो शिविवरो की रपट

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" ये औरतें जब अपनी ज़िन्दगी के बारे में बता रही थी तब औरतो में अजीब शान्ति थी, क्यूंकि सबके दुःख : दर्द मिलते- जुलते ते । यदि औरतें हल को हाथ लगाए तो अपशकुन क्यों माना जाता हैं ? जवाब मिला कि कहते हैं यदि औरत हल को हाथ लगाए तो उसके पति की उम्र घट जाती हैं । " आगे पढ़िए...
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एक अंधी लड़की से बलात्कार: कुछ शर्मनाक मुद्दे

by तारा आहलूवालिया
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मज़हबी कटृरता के खिलाफ औरतो की आवाज़

by कमला भसीन
"अगर हर घर , हर बस्ती , हर गाव, हर शहर से शांति , आपसी प्रेम और सदभाव के लिए आवाज़ उठ जाए तो क्या मज़ाल हैं हिंदुस्तान बंट जाए ।" आगे पढ़िए...
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यौन हिंसा पर कमोश न रहे, वार करें

by कमला भसीन
" औरतों को शोषण से बचाने और उन्हें बेहतर जीवन देने के लिए कई कानून हैं । लेखिन सिर्फ कानून बन जाने से न शोषण खत्म होता हैं, न बेहतर जीवन मिल पाता हैं । कानूनों को अमल में लाने के लिए उपयुक्त सामाजिक वातावरण ज़रूरी हैं, इंसानी सोच में बदलाव ज़रूरी हैं । " आगे पढ़िए...
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वक्त आ गया हैं ख़ामोशी तोड़े

by जूही
"वक्त आ गया हैं कि ख़ामोशी थोड़ी जाए । परिवार के अंदर हो रही मनमानी बंद हो । इसके लिए ज़रूरी हैं कि सबसे पहले औरते ख़ामोशी तोड़े । अपने घर में हो , चाहे पड़ौस में , ऐसी घटना के बारे में बात करे । ... याद रखे , इस बातचीत से घर कि इज़्ज़त दांव पर नहीं लगा रही । जब घर में बच्चियों / औरतो पर यह हो रहा हैं तो हम कौन -सी इज़्ज़त बचाने का दावा कर रहे हैं । " आगे पढ़िए...

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Concept: Jagori | Content: Amrita Nandy | Design: Avinash Kuduvalli
Development and Maintenance: Zenith Webtech

About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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