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नार-प्लांट यह आखिर क्या हैं?

by जूही जैन
"औरत चाहे शहर में रहने वाली हो, चाहे गाव की । पढ़ी- लिखी हो या अनपढ़ । अपने शरीर पर उसका अपना हक़ हैं । उसे अधिकार हैं कि वह फैसला कर सके कि वह कब बच्चा चाहती हैं , कब नहीं । " आगे पढ़िए...
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शरीर और स्वास्थ्य से मेरा संबंध

by वीणा शिवपुरी
"मेरा शरीर मेरा अपना हैं । उसका उतार चढ़ाव , सुख दुःख को मेँ सबसे अच्छी तरह जानती हूं । आखिर मैँ उसे बीस , तीस , पचास साल से जानती हूं । ... हमारे शरीर से हमे प्यार होना चाहिए । उसकी समाज होनी चाहिए । ... हमारे शरीर मेँ प्रकति ने रोगों से लड़ने को ताकत दी हैं । उसे पनपाएं । अपने शरीर को पहचानें । " आगे पढ़िए
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कोख पर दूसरे के नियंत्रण की ज़रुरत नहीं

by मणिमाला
" औरते कहती हैं कि दो बच्चे ज़िंदा रहेंगे , इसकी गारंटी कौन देगा? कोई भूख से मरेगा तो कोई महामारी में । सरकार अगर गर्भ निरोधक की जगह दवा और खाने का इंतज़ाम करती तो आबादी बढ़ने की रफतार रोक सकती थी । " आगे पढ़िए...
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ज़िम्मेदारियां ही ज़िम्मेदारियां

by सुहास कुमार
"परिवार नियोजन की सारी ज़िम्मेदारी उसके कंधों पर डाल दी जाती हैं । रीति- रिवाज़, परपराए, धर्म , संस्कृति सबको चलाए जाने की ज़िम्मेदारी औरत पर ही हैं । ... इतनी ज़्यादा ज़िम्मेदारियों का बोझा स्त्रियों पर होने का नतीजा होता हैं अनेक शारीरिक व मानसिक अवस्वस्थ्ताएं । " आगे पढ़िए
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गुणी की कहानी लक्ष्मीबाई की जुबानी

by जूही जैन
"हममे हिम्मत हममे मेहनत हममे पूरा दम हैं किसने कहा कि औरत जाति मर्दो से कुछ कम हैं ? " आगे पढ़िए...
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नॉर- प्लांट या आखिर हैं क्या ?

by जूही जैन
" औरत चाहे शहर में रहने वाली हो, चाहे गाव की । पढ़ी - लिखी हो या अनपढ़ । अपने शरीर पर उसका अपना हक़ हैं । उसे अधिकार हैं कि वह फैसला कर सके कि वह कब बच्चा चाहती हैं , कब नहीं । " आगे पढ़िए...

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Concept: Jagori | Content: Amrita Nandy | Design: Avinash Kuduvalli
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About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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