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बजट 2015- महिलाओं के लिए क्यों नहीं है?

अभियान
by सौम्य तिवारी और प्राची साल्वे
2015-16 के बजट में पिछले वर्ष की तुलना में महिलायों के लिए किए गए आबंटन में 19 प्रतिशत की कटौती की गई है। यह कटौती भारत में लिंग अनुकूल बजट के प्रसंग में अत्यंत नकारात्मक कदम है। प्रस्तुत लेख में केंद्रीय सरकार द्वारा इस वर्ष के बजट में विभिन्न सामजिक स्कीमों पर किए जाने वाले खर्चों में कटौती का विश्लेषण किया गया है।
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"स्वच्छ" अभियान- रोज़गार से जुड़े खतरों का समाधान

अभियान
by जुही जैन
यह लेख पुणे में कार्यरत स्वच्छ संगठन की मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन की दिशा में एक परिवर्तनात्मक पहल- "स्वच्छ बैग" पर रोशनी डालता है। यह हाथ से कूड़ा बीनने वाले सफाईकर्मियों के लिए सुरक्षित, रोगमुक्त और गरिमामय ज़िन्दगी सुनिश्चित करने की ओर एक प्रशंशनीय प्रयास है।
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जीवन रक्षक दवाओं की कीमत और उपलब्धि

अभियान
by कल्याणी मेनन सेन
"त्रास्तुज़ूमाब" जैसी कैंसर विरोधी, जीवन रक्षक दवाओं की ऊँची कीमतें औरतों में फैली स्तन कैंसर की मूक महामारी को रोकने की राह में बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न करती हैं। अतः इस लेख में सरकार द्वारा इन दवाओं के मूल्यों को नियंत्रित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की ज़रुरत पर ज़ोर दिया गया है।
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परम्परा

हम सबला (जनवरी-जून 2015)
by जुही जैन
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अरुणा शॉनबॉग: अहम सवाल

संवाद
by जुही जैन
इस लेख में सन 1973 साल में मुंबई के एक अस्पताल में एक युवा नर्स, अरुणा शॉनबॉग के साथ घटित बलात्कार हादसे से जुड़े अनेक जटिल सवालों और पहलुओं का विश्लेषण किया गया है।
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कचरे के काम में शामिल महिलाओं की आजीविका व स्वास्थ्य

संवाद
by शशि भूषण पंडित
दिल्ली में कचरा प्रबंधन की औपचारिक व्यवस्था के साथ-साथ घूम घूम कर कूड़ा बीनने वाले रद्दी वालों जैसे असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, ख़ास तौर पर महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व आजीविका से जुड़े मुद्दों पर आधारित है प्रस्तुत लेख। साथ ही, यदि इन कामगारों को कचरा व्यवस्थापन का हिस्सा बना लिया जाय तो कैसे महानगर में रोज़ पैदा होने वाले कचरे का 80 प्रतिशत हिस्सा का स्थानीय स्तर पर निपटारा हो जायेगा, इस बात पर भी रोशनी डाली गई है।

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Concept: Jagori | Content: Amrita Nandy | Design: Avinash Kuduvalli
Development and Maintenance: Zenith Webtech

About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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