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सिर्फ़ कानून बनाना काफ़ी नहीं

आमने-सामने
by मारिया रोज़ारियो-चेनत्रोने
'पॉक्सो' कानून का पास होना बच्चों के लिए एक सुरक्षित परिवेश सुनिश्चित करने की दिशा में एक अत्यंत सकारात्मक कदम है पर इस कानून का बन जाना बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न की समस्या को हल करने की अंतिम कड़ी कदापि नहीं है। अब राज्य और केंद्र सरकार पर यह ज़िम्मेदारी आती है कि वे समय समय पर सामान्य जनता ख़ास कर बच्चों को इस कानून के प्रावधानों के बारे में जागरूक करें तथा इस कानून का कुशल कार्यान्वयन सुनिश्चित करें।
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दावणी

कहानी
by बामा
पढ़िए दलित साहित्य की जानी-मानी लेखिका बामा की रचित वर्ग व शोषण सम्बन्धी मुद्दों पर आधारित कहानी- दावणी (केरल में पहनी जाने वाली साड़ी)।
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सहमति से यौन सम्बन्ध बनाने की आयु सीमा बढ़ाने का फैसला: एक समीक्षा

by साहिल अरोड़ा और चितवन दीप सिंह
इस लेख में कानूनी प्रावधानों में सहमति से होने वाली यौन गतिविधियों की उम्र 16 वर्ष कर दी जाने के फैसले की समीक्षा प्रस्तुत है। यह फैसला इस तर्क के बल पर लिया गया है कि यह कदम बाल अधिकारों के पक्ष में होने के साथ-साथ इस विषय में अंतर्राष्ट्रीय चलन के अनुकूल भी होगा। पर क्या यह फैसला भारतीय समाजिक सच्चाइयों को अनदेखी नहीं करता? आगे पढ़िए...
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बच्चों पर विशवास करना ज़रूरी है

संवाद
by जुही जैन
प्रस्तुत लेख में बच्चों के साथ यौन हिंसा के मुद्दे पर एक कोमल, खामोश रवैया नहीं बल्कि सोची-समझी रणनीति ईजाद करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है। 'पॉक्सो' कानून का पास होना इस दिशा में एक अत्यंत सकारात्मक कदम है पर इसके साथ ही अभिभावकों का बच्चों के साथ एक संवेदनशील सम्बन्ध बनाना भी ज़रूरी है।
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यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून, 2012

कानून
by फ्लेविया एगनिस
नवम्बर 2012 में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण क़ानून लागू किया गया। यह बाल पीड़ितों की ज़रूरतों को वयस्क पीड़ितों के मुकाबले अलग तरह से मान्यता देने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। प्रस्तुत लेख में इस क़ानून के तहत विभिन्न अपराधों के बारे में प्रावधानों का वर्णन किया गया है।
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आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2013

कानून
by फ्लेविया एगनिस
दिसंबर 2012 में निर्भया बलात्कार व हत्या काण्ड ने वर्षों से चल रही आपराधिक कानून में सुधार लाने की मांग को और अधिक मुखर कर दिया जिसके फलस्वरूप वर्मा आयोग के सुझावों को मद्देनज़र रखते हुए संसद ने अप्रैल 2013 में इस कानून में संशोधन को मंज़ूरी देते हुए इसे लागू करने का आदेश जारी किया। प्रस्तुत लेख में इस सुधार अधिनियम के चलते आपराधिक कानून की प्रमुख धारायों में आए बदलाव का उल्लेख है।

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Concept: Jagori | Content: Amrita Nandy | Design: Avinash Kuduvalli
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About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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