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महिलाओं के लिए 'सुरक्षित दिल्ली अभियान'

अभियान
by जुही जैन
नवंबर 2009 में दिल्ली सरकार ने यूनिफेम, जागोरी व यूएन हैबिटैट के साथ मिल कर महिलाओं के लिए 'सुरक्षित दिल्ली अभियान' की शुरुआत की थी। यह शुरुआत 25 नवंबर (महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस) के दिन दिल्ली के सेंट्रल पार्क, कनॉट प्लेस में आयोजित एक कार्यक्रम से की गई। प्रस्तुत है इस कार्यक्रम की गतिविधि का ब्यौरा।
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क्यों होती है 'ईव-टीज़िंग'?

आमने-सामने
by सुनीता ठाकुर
प्रस्तुत लेख में इस बात पर ज़ोर दिया गया है की यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए केवल कानून का मौजूद होना ही काफी नहीं है बल्कि सामजिक तौर पर ऐसी हरकतों को नकारने की आवश्यकता है। यौन हिंसा जैसे घोर अपराधों को 'छेड़छाड़' कहकर टालने के रवैये को बदलना होगा। साथ ही पुलिस तंत्र को भी संवेदनशील बनाना अत्यंत ज़रूरी है।
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मेरा घर कहाँ?

कहानी
by नासिरा शर्मा
पढ़िए सोना की कहानी जिसकी शुरूआती ज़िन्दगी दरबदरों की ठोकरें खाते हुए बीती। पर अंत में उसने इस बात से समझौता कर लिया कि "न कोई मेरा ठौर-ठिकाना, न मैं किसी घर की मालकिन। दुनिया की आबादी हूँ और हालात की शहज़ादी हूँ।"
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बस अब बहुत हुआ

आमने-सामने
by अमृता नंदी जोशी
प्रस्तुत लेख में यौन उत्पीड़न पर 'चुप्पी' तोड़ने की ज़रुरत पर ज़ोर देते हुए लेखिका हमारे सांस्कृतिक परिवेश, जहां यौन हिंसा जैसे घोर अपराधों को 'छेड़छाड़' कहकर टालने का रवैया सामान्य है, में कुछ अतिवादी मूलभूत परिवर्तन करने की बात करती हैं। साथ ही वे इस मुहिम में पुरुषों की भागीदारी व भूमिका के महत्त्व पर भी प्रकाश डालती हैं।
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शहर से निकाले पुनर्वास क्षेत्र में बसे लोगों की सुरक्षा

by सुरभि टंडन मेहरोत्रा
इस लेख में विस्थापन के बाद नए इलाकों में पुनर्वासित परिवारों की महिलाओं व लड़कियों द्वारा सार्वजानिक जगहों के इस्तेमाल की समीक्षा की गई है। लेख में महिलाओं द्वारा अपनी नई ज़िन्दगी बसाने तथा सार्वजनिक स्थलों से उनके संबंधों की समझ बनाने की कोशिश की गई है।
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'लेडीज़ स्पेशल' पर सवार

by श्रेया भट्टाचार्य
यह लेख दिल्ली सरकार द्वारा चलाई गई 'लेडीज़ स्पेशल' बसों के सन्दर्भ में इस बात पर ज़ोर देता है कि इन प्रयासों से स्त्री बनाम पुरुष विभाजनों की अधिक मज़बूती होती है व औरतें सामान अवसर पाने से वंचित रहती हैं। जगहों का 'सिर्फ महिलाओं के लिए' निर्धारण जैसे कदम पहले से ही मौजूद जगहों व स्थलों के लैंगिकरण को और अधिक स्थाई बनाते हैं।

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Concept: Jagori | Content: Amrita Nandy | Design: Avinash Kuduvalli
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About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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