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देवी-स्त्री यौनिकता

by अनामिका
पौराणिक रचनाओं से विभिन्न देवियों (पारवती, राधा, द्रौपदी, सीता आदि) के चरित्र वर्णना को उदाहरणस्वरूप पेश करते हुए प्रस्तुत लेख इस बात को उजागर करता है की वे सभी अपनी यौनिकता की अभिव्यक्ति, अपने चयन, अपनी देह और अपनी रुचि को महत्त्व देती हैं। यह इस बात को भी दर्शाता है की स्त्रियों को यौन संतुष्टि ऐसे ही साथी से मिल सकती है जिसका उनसे गहरा मानसिक व बौद्धिक जुड़ाव हो। आदरपूर्वक, मीठी, उड़ान भरी बातें और काव्य-संगीत-नृत्यादि की समझ से स्त्रियों/देवियों की यौनिकता स्पंदित होती है।
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जुग-जुग जियेसु ललनवा

आमने-सामने
by शशिकला राय
पढ़िए कोरियोग्राफर, नर्तिका व सामजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी की कहानी। लक्ष्मी, स्वेच्छा से हिजड़ा समुदाय में शामिल हुई एक ट्रांसजेंडर औरत हैं जो हिजड़ों के विकास, सम्मान व सामान अधिकारों के लिए कार्य करती हैं।
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सही या गलत के घेरे में 'पोर्नोग्राफ़ी'

संवाद
by जुही जैन
पोर्नोग्राफी विमर्श विभिन्न स्तरीय बहसों और चर्चाओं के केंद्र में है। पोर्नोग्राफी के प्रसंग में नैतिकता, सभ्यता, यौन अभिव्यक्ति व शरीर पर अधिकार जैसे कई पेहलु सामने आती हैं। प्रस्तुत लेख में इस मुद्दे से जुड़े विविध विचारधाराओं की समीक्षा की गई है।
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एक ऐतिहासिक जीत

संवाद
by आपका पिटारा
जुलाई 2009 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय क़ानून की धारा 377 को असंवैधानिक करार देते हुए इसे ख़ारिज करने का फैसला सुनाया था। 1860 में अंग्रेज़ों के ज़माने में बनाए गए इस कानून के तहत किसी भी 'अप्राकृतिक' (जो प्रजनन से जुड़ी न हो) यौन सम्बन्ध को अपराध माना जाता है। वयस्क यौन स्वतंत्रता के सन्दर्भ में यह एक सुनहरा दिन था। लेकिन दुर्भाग्यवश दिसंबर 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहते हुए कि धारा 377 के संशोधन या निरसन से जुड़े मामले को संसद के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए न कि न्यायपालिका पर, इस फैसले को उलट दिया।
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आज़ादी की राह पर

संवाद
by गौतम भान
प्रस्तुत लेख दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जुलाई 2009 में भारतीय क़ानून की धारा 377 को ख़ारिज करने के फैसले का जश्न मनाता है। 1860 में अंग्रेज़ों के ज़माने में बनाया गया यह कानून किसी भी 'अप्राकृतिक' (जो प्रजनन से जुड़ी न हो) यौन सम्बन्ध को अपराध करार देता है। वयस्क यौन स्वतंत्रता के सन्दर्भ में इस कानून का निरसन एक सुनहरा दिन था। लेकिन दुर्भाग्यवश दिसंबर 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले को उलट दिया। क्वियर नागरिकों की बराबरी, सम्मान और अधिकार पाने की लड़ाई अभी तक जारी है।
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यौनिकता और हम

अभियान
by जया शर्मा
यह लेख 'यौनिकता और हम' कार्यक्रम के तहत आयोजित कार्यशालाओं की एक झलक प्रस्तुत करता है। दिल्ली के गैर सरकारी महिला संगठन, 'निरंतर' द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य था यौनिकता के मुद्दों पर समुदाय स्तर पर काम कर रहे संगठनों की समझ गहरी करना। इसकी खासियत यह थी कि यौनिकता के मुद्दों पर ग्रामीण व गरीब समुदाय की महिलाओं और संस्थाओं के कार्यकर्ता- दोनों के बीच सघन रूप से काम किया गया।

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Concept: Jagori | Content: Amrita Nandy | Design: Avinash Kuduvalli
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About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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