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Living Feminisms
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एक सच्ची घटना फूल बनी चिंगारी

by मणिमाला
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परिवार या सरकार

by वीणा शिवपुरी
" किसी भी कानून की बात करते समय हमे उसे अपने समाज के हालात को ध्यान में रखते हुए परखना चाहिए । ... छोटे परिवार या कम जनसख्या करने का सारा भोझ , सारा दवाब औरत पर ही क्यों डाला जाता हैं? ... चाहे वह हानिकारक परिवार नियोजन के साधन हो या इस तरह का कानूनी दवाब । औरतो तो दोनों तरह से मारी जाती हैं । एक तरह पित्रसतात्मक परिवार हैं तो दूसरी तरह पित्रसतात्मक सरकार । " आगे पढ़िए…
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सख्त कानून कमज़ोर फैसला

by हिंसक अपराध
" भारतीय समय अपनी गली - सड़ी मान्यताओं के चलते बलात्कार की हुई औरत पर और भी अत्याचार करता हैं । अपराध की शिकार ही अपराधी ठहरा दी जाती हैं । उसका औरत होना ही अपराध मान लिया जाता हैं । ... यह बात बड़े साफ तौर पर समझ में आती हैं कि आधिकारिक पदों पर बैठने वाले लोग, चाहे वे पुरुष हो या स्त्रियां, जब तक अपने घिसे-पिटे विचारों से छुटकारा नहीं पाते औरतो के साथ अन्याय होता रहेगा । " आगे पढ़िए…
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कानून जानकारी औरत को गोद लेने का अधिकार

by हमारे कानून ( मार्ग प्रकाशन ) में साभार
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हमारी बात

by वीणा शिवपुरी
" स्त्री और पुरुष एक गाडी के दो पहिए हैं । जब तक उनमे आपसी तालमेल और बराबरी नहीं होगी, गाडी ठीक से नहीं चल सकती । यह बात चाहे कितनी ही पुरानी और घिसीपिटी लगे पर हैं पूरे सौ पैसे खरी । इसलिए जहां एक तरह औरत की चेतना और शिक्षा की बात हम करते हैं , वही पुरुषों की बात करना भी ज़रूरी हैं । " आगे पढ़िए...
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पुलिस और हम

by मार्ग से साभार
" अपराध , कानून, सुरक्षा और पुलिस - इन सबका आपस में गहरा संबंध हैं । कानून हमारी सुरक्षा के लिए बने हैं । पुलिस हमारे अधिकारों की हिफाज़त के लिए । पर पुलिस की पूरी मदद लेने के लिए दो बाते ज़रूरी हैं ? - यह जानना कि पुलिस संबंधी अधिकार क्या हैं और पुलिस की कार्यवाही में सयहोग देना । " आगे पढ़िए...

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Concept: Jagori | Content: Amrita Nandy | Design: Avinash Kuduvalli
Development and Maintenance: Zenith Webtech

About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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