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Living Feminisms
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आजीविका के लिए आवाज़

by शशि भूषन पंडित
यह लेख दिल्ली में ठोस कचरा प्रबंधन की समस्या पर आधारित है। औपचारिक व्यवस्था के साथ-साथ परम्परागत तरीके से कचरा प्रबंधन के काम में असंगठित क्षेत्र के मज़दूर भी जुड़े हैं। परन्तु औपचारिक व्यवस्था के निजीकरण के चलते असंगठिक क्षेत्र के कामगारों की आजीविका पर ठेस पहुंची है। इस लेख में शहरी कचरे के संग्रह, छंटाई, पुनर्चक्रण, ढुलाई, बिक्री और निस्तारण की संभावित वैकल्पिक व्यवस्था के लिए मज़्दूरों द्वारा प्रस्तावित एक व्यवस्थागत मॉडल प्रस्तुत किया गया है।
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अब मैं कोई अनजान नहीं हूँ

आपबीती
by अमाई टोरीरो
इस लेख में ज़िम्बाब्वे की स्वास्थ्यय कार्यकर्ता अमाई टोरीरो अपने ज़िन्दगी की कहानी बाँट रही हैं। अमाई ने अपने काम व ऊर्जा के ज़रिए अपने समुदाय के सामने सशक्तता और वचनबद्धता का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है।
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बेहतर शहरी बस्तियां: बेहतर स्वास्थ्य

by बीजल भट्ट
प्रस्तुत लेख में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि आधारभूत सेवाओं, रोज़गार, शिक्षा व सामजिक सशक्तिकरण- इन सभी पहलुओं पर ध्यान देने और इन्हें उन्नत बनाने से बस्तियों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्यय को बेहतर बनाया जा सकता है।
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मैन्युअल स्कैवेंजिंग- कब तक ?

आमने-सामने
by नंदिता सेनगुप्ता
1993 में हाथों से मैला साफ़ करने की प्रथा को क़ानूनन असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था परन्तु यह आज भी इस देश के कई हिस्सों में दिखाई पड़ती है। प्रस्तुत लेख मानव गरिमा को ठेस पहुँचाने वाली इस प्रथा को जड़ से मिटाने की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।
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युवाओं की मांग- एक स्वच्छ पर्यावरण

संवाद
by अदिति बिश्नोई
प्रस्तुत लेख में दिल्ली के गैर सरकारी संस्था 'एक्शन इंडिया' से जुड़े भलस्वा पुनर्वास बस्ती के कुछ युवक-युवतियां अपने इलाके के बुनियादी ज़रूरतों से जुड़े समस्यायों का बखान देते हैं। ये युवा कार्यकर्ता न केवल समस्यायों से अवगत हैं बल्कि इसके निदान तलाशते हुए बदलाव लाने की कोशिश में भी जुटे हैं।
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एक सराहनीय पहल: सामुदायिक शौचालय ब्लॉक

आमने-सामने
by मरिया व इंदू
प्रस्तुत लेख स्पार्क (सोसाइटी फॉर द प्रोमोशन ऑफ़ एरिया रिसोर्स सेंटर्स), राष्ट्रीय झोपड़पट्टवासी संगठन और महिला मिलन के गठबंधन द्वारा पुणे, मुंबई, वाइजैग व तिरुपुर की बस्तियों में चलाये गए 'ब्लॉक शौचालय परियोजना निर्माण कार्यक्रम' की सफलता पर प्रकाश डालता है। यह कार्यक्रम न केवल बेहतर स्वच्छता प्राप्त करने में बल्कि समुदाय को संगठित करने में भी मिसाल है। महिलाओं की सशक्तिकरण की दिशा में भी यह प्रयास फलदायक साबित हुआ है।

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Concept: Jagori | Content: Amrita Nandy | Design: Avinash Kuduvalli
Development and Maintenance: Zenith Webtech

About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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