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Living Feminisms
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ज़माना बदल गया

by साभार - शकुंतला सरन साक्षरता
"दादी ने कहा - " बेटी , यह पछतावे के आंसू हैं और ख़ुशी के भी । मेरी ही आंखों के सामने ज़माना कितना बदल गया । मेँ देख रही हूं बेटी भी वही सब कुछ कर सकती हैं जो बेटा करता हैं । " आगे पढ़िए...
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अनपढ़ औरतो ने वीडियो फिल्म बनाना सीखा

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" ज्योतिबेन का मानना हैं कि जब औरते वीडियो फिल्म बनाएगी तब उनकी बात दूर - दूर तक पहुंचेगी । यह बहुत असरदार माध्यम हैं । इससे वे अपनी आवाज़ उठा सकेंगी और नीति बनाने वालों तक पहुँच सकेंगी । " आगे पढ़िए...
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जो दीवार पर लगे - लगे बात कहे- पोस्टर

by कमला भसीन
" पोस्टर हर तरह के होते हैं लेखिन अच्छा पोस्टर वह हैं जिसमे सन्देश छोटा व साफ हो । पोस्टर ऐसा बन होना चाहिए कि वह लोगों का ध्यान अपनी तरह खींचे , कोई उसे देखे और पढ़े बिना आगे जा ही न सके । अच्छा पोस्टर हमे सोचने को भी मज़बूर करता हैं, बातचीत या बहस के लिए बुलावा देता हैं ।... इसलिए अच्छा पोस्टर बनाने से पहले जिस विषय पर पोस्टर बनना हैं उसके बारे में गहराई से सोचना ज़रूरी हैं । " आगे पढ़िए ...
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हमारी बात आप तक आपकी बात हम तक यही संचार हैं

by सुहास कुमार
" संचार का मतलब हैं अपनी बात दूसरों तक पहुंचना । इसमें दो पक्ष होते हैं। एक कहने वाला, दूसरा सुनने वल्ला सुनने वाले की प्रतिक्रिया जानना ज़रूरी हैं, क्यूंकि जब तक हम यह नहीं जानेंगे हमे कैसे पता चल पाएगा कि बात सुनने वाले तक पहुंची या नहीं । मौजूदा संदभॅ में जब तक हम यह नहीं जानेंगे कि श्रापको संचार का मतलब समझ में श्राया या नहीं , तब तक संचार अधूरा रहेगा । " आगे पढ़िए ...
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बहनों का ब्रहा विघा मंदिर

by कमला भसीन
" विनोबा का सपना था कि एक ऐसा आश्रम हो जहां लोग मिल कर रहे, मिल कर काम करे, मिल कर ज्ञान और विघा पाए । यहां सपना विनोबा कहा करते थे जब तक औरतें ज्ञान नहीं पाएंगी , खुद धार्मिक ग्रन्थ नहीं लिखेंगी , का०याें की रचना नहीं करेंगी तब तक वे पुरुषों के मोहताज रहेंगी । विनोबा स्त्री- पुरुष शक्ति में विशवास रखते थे । " आगे पढ़िए ...
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निरक्षर से प्रेरक तक का सफर

by मनोहर लाल अायॅ
" कृष्णा को पढ़ने का शौक इतना था कि खाली समय में भी वह पुस्तकें पढ़ती, पत्र लिखती । उसकी लगन और मेहनत का यह फल हुआ कि एक ही साल में उसने बहुत कुछ फल हुआ था । सन् १९८४ में उन्हें केंद्र के अनुदेशक का काम सौंप दिया गया इस नई ज़िम्मेदारी को कृष्णा ने बखूबी निभाया अपने मधुर व्वयहार और लगन से वह गाव की स्त्रियों में लोकप्रिय हो गई । ... कृष्णा की कोशिशो से आज ढ़ाणी की सौ फी सदी महिलाए साक्षर हैं । " आगे पढ़िए ...

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Concept: Jagori | Content: Amrita Nandy | Design: Avinash Kuduvalli
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About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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