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"सबला" महिला पंचायत ने मामला यों सुलझाया

by सुहास कुमार
'सबला संघ' दिल्ली की चार पुनर्वास बस्तियों- जहांगीरपुरी, नंदनगरी, सीमापुरी और दक्षिणपुरी में सक्रिय है। संघ ने लगभग दो साल से इन क्षेत्रों में महिला पंचायतों का गठन शुरू किया। ये यहाँ के पारिवारिक मामले सफलतापूर्वक सुलझा रही हैं जिनके कुछ उदाहरण इस लेख में प्रस्तुत किए गए हैं। इनके मुख्य हथियार हैं सामाजिक बहिष्कार का दबाव, स्थानीय भागीदारी, कानूनी जानकारी और एकजुट होकर कदम बढ़ाना।
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ज़िन्दगी का राज़

सबला (जून-जुलाई 1995)
by शशि चौहान
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क्या सामान नागरिक कानून स्त्री-पुरुष को सामान अधिकार दे पायेगा?

by मणिमाला
यह लेख सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छिड़ी सामान नागरिक कानून से जुड़े विवाद के दलीलों को रेखांकित करता है। सभी सम्प्रदायों की निजी कानून में किसी न किसी रूप में औरत को मर्द के मुकाबले काम हक़ दिया जाता है। आमतौर पर सामान नागरिक कानून का अर्थ एक ऐसे कानून से लगाया जाता है जो सारे मज़हब के लोगों को सामान हक़ दे। आगे पढ़िए...
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महिला सशक्तिकरण: सफर भी और मंज़िल भी

by विशेष संवाददाता
"...अनेक संस्थाएं शहरों, गाँवों और पिछड़े आदिवासी इलाकों में औरतों के साथ काम कर रही हैं। उनके काम के दायरे काफी अलग-अलग भी हैं। कुछ का ज़ोर औरतों की आमदनी बढ़ाने वाले कामों पर हैं तो कुछ औरतों को शिक्षित करने में लगी हैं। कुछ औरतों में जागरूकता लाने के काम से जुडी हैं तो कुछ उन्हें संगठित करने में।..." इन सभी रास्तों को अपनाने के पीछे मकसद एक ही है- महिला सशक्तिकरण। आगे पढ़िए...
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बलात्कार से जुड़े मिथक

by वीणा शिवपुरी
इस लेख में बलात्कार से जुड़े कुछ मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया गया है जैसे 'बलात्कारी हमेशा अजनबी होते हैं', 'जब पति औरत के साथ जबरदस्ती करता है तो वह बलात्कार नहीं', आदि।
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आग अपने ही आंगन की झुलसाए है

by कमला भसीन
यह लेख अक्सर 'सुरक्षित' माने जाने वाले घरों की चारदीवारी के अंदर घट रहे औरतों पर किए जाने वाले हिंसा को उजागर करता है।

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Concept: Jagori | Content: Amrita Nandy | Design: Avinash Kuduvalli
Development and Maintenance: Zenith Webtech

About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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