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मुस्लिम महिलाएं व यौनिकता का सवाल

by आवाज़-ए-निस्वां
हालांकि धर्म की आड़ में स्त्री यौनिकता को नियंत्रित रखने के लिए अपनाए गए प्रयास सभी मज़हबों में सामान ही होते हैं फिर भी मुस्लिम महिलाओं की यौनिकता को दबाने के लिए अपनाए गए नियंत्रणों में कुछ फर्क भी नज़र आते हैं। प्रस्तुत लेख में इस फर्क के विभिन्न आयामों पर चर्चा की गई है।
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लिहाफ़

कहानी
by इस्मत चुगताई
पढ़िए उर्दू की नामचीन लेखिका इस्मत चुगताई की लिखी कहानी 'लिहाफ'। महिलाओं से सम्बंधित मुद्दों को बेबाक़ व संजीदगी से कलमबद्ध करना इस्मत चुगताई के लेखन की ख़ास पहचान है। समलैंगिक यौनिकता पर आधारित इस कहानी को लिखने के बाद अश्लीलता के आरोप में इस्मत को मुकदमे का सामना करना पड़ा था।
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मिडिया की नज़र में मुस्लिम महिलाएं

by सबीना किदवई
"भारतीय मीडिया में मुस्लिम महिलाओं का चित्रण समाज के मौजूद कायदे-मान्यताओं के अनुकूल है तथा इस्लाम व मुस्लिम महिलाओं की प्रचलित धारणाओं को पुनर्स्थापित करता है"। प्रस्तुत लेख विभिन्न अखबार, पत्रिका व दूरदर्शन कार्यक्रम पर गौर करते हुए मुस्लिम महिलाओं की मीडिया में पेश की जाने वाली छवि की समीक्षा करता है।
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'तेहरा-तलाक': क्या इस्लाम में इसकी इजाज़त है?

संवाद
by सईदा सैयदीन हमीद
प्रस्तुत लेख इस्लाम के 'तेहरा मौखिक तलाक' से जुड़े सच्चाई को उजागर करता है। यह इस बात को साफ़ करता है कि 'तेहरा मौखिक तलाक' किसी भी सूरत में इस्लाम के फलसफे के खिलाफ है और ऐसा करना क़ुरान में दर्ज बातों का गैर ज़िम्मेदाराना इस्तेमाल मात्र है। वास्तव में इस सुलूक को तलाक-ए-बिदत यानी गलत तरह का तलाक कहा गया है।
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'हिजाब' के पीछे का सच

आमने-सामने
by सादिया देहलवी
औरत को अपना पहनावा चुनने की पूरी आज़ादी होनी चाहिए। प्रस्तुत लेख इस बात को आलोकित करता है कि कुछ यूरोपीय देशों में मुस्लिम महिलाओं के स्कार्फ़ पहनने पर प्रतिबंध लगाना उतना ही दमनकारी व गलत है जितनी तालीबान का औरतों को पर्दे में रखने की ज़बरदस्ती।
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भारतीय मुस्लिम महिलाएं: समीक्षा व समाधान

by सीमा काज़ी
प्रस्तुत लेख मुग़ल साम्राज्य से लेके 1947 के विभाजन, 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस व 2002 के गुजरात नरसंहार आदि जैसे घटनाओं के सन्दर्भ में भारत में मुसलमान महिलाओं के आर्थिक-सामजिक दर्जे, शैक्षिक व रोज़गार स्तर, राजनैतिक भागीदारी दर इत्यादि की समीक्षा करता है। साथ ही मुस्लिम समुदाय खासकर मुस्लिम महिलाओं के विकास के लिए कुछ समाधान भी सूझता है।

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About Living Feminisms

Living Feminisms is an attempt to share archives preserved by Jagori, a New Delhi-based feminist organisation from the eighties. It offers subjective accounts by our curators as well as access to publications, songs, pamphlets, posters, photographs, poems etc. Together, they reflect the diverse spectrum that is the autonomous Indian women’s movement, its struggles, solidarities and differences, laughter, anger, carefree moments, campaigns, love, loss, work and home.

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