हमारी बात- क्या शहर सुरक्षित है?

by सुरभि टंडन मेहरोत्रा / Ref सुरभि टंडन मेहरोत्रा
यह लेख इस बात पर ज़ोर देता है कि सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा का विमर्श अधिकारों के व्यापक ढांचे के बीच स्थापित किया जाना चाहिए क्यूंकि सुरक्षा का अभाव औरतों को शहरी जीवन में खुलकर भाग लेने से बंचित करता है। औरतों को अपनी असुरक्षा का निदान तलाशने के लिए नहीं कहा जा सकता, बल्कि इस समस्या का समाधान राज्य व समुदाय से ही निकलना चाहिए। तभी औरतों को शहरी नागरिक होने का सम्पूर्ण अधिकार मिल सकता है।
Editor Translator Photographer Publisher
जुही जैन
Jagori
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5